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भारत और यूरोपीय संघ ने मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए अंतिम दौर की वार्ता शुरू की
भारत और यूरोपीय संघ ने दिसंबर की समयसीमा से पहले लंबित मुक्त व्यापार समझौते के महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझाने के लिए नई दिल्ली में नई दौर की वार्ता शुरू की।

भारत और यूरोपीय संघ (EU) के प्रतिनिधियों ने प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए सोमवार को नई वार्ता शुरू की। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष जल्द ही इस समझौते को पूरा करने का लक्ष्य रख रहे हैं।

EU की एक टीम 3 से 7 नवंबर तक अधिकारियों के साथ बैठक करने के लिए भारत में है। मंत्रालय ने कहा, “यह बातचीत प्रमुख लंबित मुद्दों को हल करने और समझौते को एक संतुलित और न्यायसंगत ढाँचे की ओर आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखती है जो दोनों पक्षों को लाभ पहुंचाए।”

यह दौर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की 27-28 अक्टूबर को ब्रुसेल्स यात्रा के बाद हो रहा है, जहां उन्होंने यूरोपीय व्यापार और आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोस सेफ़कोविक से मुलाकात की।

चर्चा के मुख्य क्षेत्र

बातचीत में वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, मूल स्थान के नियम, और अन्य तकनीकी मुद्दों को शामिल किया गया है। मंत्रालय ने कहा, “इन परामर्शों से दोनों पक्षों की संलग्नता को बढ़ाने और एक व्यापक व्यापार समझौते को सुगम बनाने की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि होती है।”

यूरोपीय आयोग की व्यापार महानिदेशक सबीन वेयांड 5-6 नवंबर को नई दिल्ली का दौरा करेंगी। वह वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल से प्रमुख तकनीकी और नीतिगत मुद्दों पर चर्चा करेंगी।

प्रमुख मुद्दे

दोनों पक्ष इस्पात, ऑटोमोबाइल और EU के कार्बन टैक्स से जुड़े मतभेदों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत ने शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं को हटाने और एक पारदर्शी व पूर्वानुमेय नियामक प्रणाली की मांग की है।

भारत ने EU के नए व्यापार नियमों—कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) और EU डिफॉरेस्टेशन रेगुलेशन (EUDR)—को लेकर चिंता जताई है। CBAM के तहत, भारत के इस्पात, एल्यूमीनियम और सीमेंट निर्यात पर 20–35 प्रतिशत तक शुल्क लग सकता है।

भारत श्रम-प्रधान क्षेत्रों, जैसे कि वस्त्र और चमड़ा उद्योग, के लिए विशेष रियायत भी चाहता है।

दिसंबर तक वार्ता पूरी करने की योजना

दोनों पक्ष दिसंबर 2025 तक वार्ताओं को पूरा करना चाहते हैं। समयसीमा पास आने के साथ बातचीत तेज हो गई है। भारत और EU ने आठ साल के अंतराल के बाद जून 2022 में FTA पर चर्चा फिर शुरू की थी। इससे पहले 2007 में शुरू हुई वार्ता 2013 में बाज़ार पहुंच से जुड़े मतभेदों के कारण रोक दी गई थी।

वित्त वर्ष 2024–25 में भारत और EU के बीच वस्तुओं का कुल व्यापार 136.53 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। भारत ने 75.85 अरब डॉलर का निर्यात किया और 60.68 अरब डॉलर का आयात किया। EU भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो भारत के कुल निर्यात का 17 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि EU के कुल निर्यात में भारत का हिस्सा 9 प्रतिशत है।

दोनों पक्षों की अपेक्षाएँ

EU ऑटोमोबाइल, चिकित्सा उपकरण, वाइन, स्पिरिट्स और मांस पर शुल्क में कटौती चाहता है। वह मजबूत बौद्धिक संपदा व्यवस्था की मांग भी कर रहा है।

भारत को उम्मीद है कि यह समझौता उसके परिधान, दवाओं, इस्पात, पेट्रोलियम उत्पादों और विद्युत मशीनरी जैसे निर्यात को यूरोपीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा।

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